Stamp Duty – जब कोई आदमी किसी प्रोपर्टी को खरीदता हैं. या उसे कोई प्रोपर्टी / सम्पति उपहार में मिलता हैं. या वह अपनी प्रोपर्टी को दुसरे के प्रोपर्टी से अदलाबदली करता हैं. तो अपने नाम पर प्रोपर्टी को ट्रांसफर कराने के लिए राजस्व विभाग के कार्यालय में जाकर उस प्रोपर्टी को अपने नाम पर रजिस्ट्री करवानी पड़ती हैं. रजिस्ट्री होने के बाद ही वह उस सम्पति का मालिक होता हैं. इसके लिए सरकार को स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज एवं अन्य कई टेक्स सरकार को देने पड़ते हैं.
जब आप किसी प्रोपर्टी के रजिस्ट्री करवाने के लिए जाते हैं. तो आपको जो रजिस्ट्री करवाने के लिए सरकार को रजिस्ट्री चार्ज, स्टाम्प ड्यूटी एवं अन्य प्रकार के कई शुल्क देने पड़ते हैं. इन सभी शुल्कों की गणना उस प्रोपर्टी के सर्किल रेट के आधार पर की जाती हैं. एक ही क्षेत्र में प्रोपर्टी का सर्किल रेट अलग – अलग हो सकता हैं. क्योंकि सर्किल रेट का निर्धारण सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा तय किया जाता हैं. जो प्रोपर्टी के अनुसार उसके सुविधाओं पर निर्भर करता हैं.
स्टाम्प ड्यूटी क्या हैं?
जब कोई प्रोपर्टी को अपने नाम पर कानूनी रूप से ट्रांसफर करवाता हैं. तब उस पर भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 के तहत सरकार द्वारा स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन चार्ज लगाया जाता हैं. इस शुल्क का भुगतान आप जब राजस्व विभाग के कार्यालय में जाकर किसी प्रोपर्टी का रजिस्ट्री करवाते हैं. तब उस रजिस्ट्री दस्तावेज़ के उपर लगाया जाता हैं. यह दस्तावेज़ आपके नाम पर ट्रांसफर हुई प्रोपर्टी के स्वामित्व को कानूनी रूप से दर्शाता हैं.
सभी राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी अलग – अलग होते हैं. वर्तमान में भारत में 5 से 7 प्रतिशत तक स्टाम्प ड्यूटी अलग – अलग राज्यों में लगाया जाता हैं. और रजिस्ट्री चार्ज 1% प्रतिशत तक होता हैं. स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्री चार्ज की गणना प्रोपर्टी के सर्किल रेट के आधार पर की जाती हैं. कुछ परस्थितियों में यह कम – ज्यादा हो सकते हैं.
- क्रेता की आयु पर – सीनियर सिटीजन नागरिकों को सरकार द्वारा स्टाम्प शुल्क में कुछ प्रतिशत की छुट दिया जाता हैं.
- प्रोपर्टी के प्रकार – प्रोपर्टी के प्रकार पर भी स्टाम्प शुल्क निर्भर करता हैं. जैसे – फ्लेट पर ज्यादा और स्वतंत्र घर पर कम स्टाम्प शुल्क लगता हैं.
- व्यक्ति का लिंग – महिलाओं को स्टाम्प शुल्क में कुछ प्रतिशत का छुट मिलता हैं.
- प्रोपर्टी का एरिया – प्रोपर्टी शहरी क्षेत्र में हो तो ज्यादा स्टाम्प शुल्क लगता हैं. जबकि ग्रामीण इलाके में कम स्टाम्प शुल्क लगता हैं.
सभी राज्यों के स्टाम्प शुल्क
राज्य | स्टाम्प शुल्क |
आंध्र प्रदेश | 5% |
अरुणाचल प्रदेश | 6% |
असम | 8.25% |
बिहार | 5.7% – 6.3% |
छत्तीसगढ | 5% |
गोवा | 3.5% – 5% |
गुजरात | 4.9% |
हरियाणा | 4% – 8% |
हिमाचल प्रदेश | 5% |
जम्मू और कश्मीर | 5% |
झारखंड | 4% |
कर्नाटक | 5% |
केरल | 8% |
मध्य प्रदेश | 5% |
महाराष्ट्र | 6% |
मणिपुर | 7% |
मेघालय | 9.9 |
मिजोरम | 9% |
नगालैंड | 8.25% |
ओडिशा | 4% – 5% |
पंजाब | 6% |
राजस्थान | 4% – 5% |
सिक्किम | 4% – 9% |
तमिलनाडु | 7% |
तेलंगाना | 5% |
त्रिपुरा | 5% |
उत्तर प्रदेश | 7% |
उत्तराखंड | 3.75% – 5% |
पश्चिम बंगाल | 6% – 7% |
Stamp Duty (FAQ)
प्रश्न 01 – स्टाम्प पेपर कहाँ से खरीदें?
यदि आपको पांच सौ रुपए से कम मूल्य का स्टाम्प पेपर चाहिए तो किसी अधिकृत विक्रेता से खरीद सकते हैं. अगर आपको पांच सौ रुपए से ज्यादा मूल्य के स्टाम्प पेपर खरीदना हैं तो इसके लिए बैंक से संपर्क करना होगा.
प्रश्न 02 – क्या स्टाम्प शुल्क वापस हो सकता हैं?
नहीं स्टाम्प शुल्क वापस नहीं होता हैं. यह सरकार के कोष में जाता हैं. जिसे राज्य के विकाश में खर्च किया जाता हैं.
प्रश्न 03 – स्टाम्प शुल्क होम लोन में शामिल होता हैं?
नहीं होम लोंन में स्टाम्प शुल्क शामिल नहीं होता हैं. यह प्रोपर्टी खरीदने में लगने वाला खरीददार द्वारा वहन किए जाने वाले अतिरिक्त खर्च होता हैं.
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